Pharmacology : Tonic
Indications : yogendra ras is said to be “Yogwahi”and is useful
remedy for almost all kind of diseases in the human body.
· It is indicated in various vata-pitta disorders like prameha, polyurea, Dysurea, Dementia, piles, fistula,Tuberculosis, paralysis, numbness, inflammation &hyperacidity.
· It is advised to take each dose with vanslochan churna &trifala kwath.
· People suffering from weakness &malnourishment are advised to take it along with milk before sleep.
Dosage : 1 to 2 tablet (125 to 250 mg )in the morning and evening with milk or as directed by the physician
Packing : 5 and 10 tablets
Diet : milk ,ghee, milk cream,butter,almond &fruit juice.
Avoid : Red chilly, sour food, fried and spicy food.
Caution : To be taken under medial supervision only
मात्रा / अनुपान : 1-1 टेबलेट दिन में 2 बार रोगानुसार उचित अनुपान
के साथ दें।
गुणधर्म एवं उपयोग : योगेन्द्र रस उम्माद, मूर्छा, हिस्टीरिया, वातज पित्तज रोग, ग्रध्रसी पक्षाघात, अर्दित, मन्यास्तम्भ, हनुग्रह, शरीरेन्द्रियों की दुर्बलता के लिए बड़ी अच्छी औषधि है। स्वर्ण, कान्तलौह, मोती, बंग, अभ्रक आदि उत्तम धातु भस्मों के योग से बना हुआ यह रसायन हृदय रोग, प्रमेह, शूल, अम्लपित्त और राजयक्ष्मा के लिए बहुत उपकारी है। यह बल, वीर्य और स्मृतिवर्धक है। इस रसायन का प्रभाव वातवाहिनी नाड़ियो, मन, मस्तिष्क और रक्तवाहिनी नाड़ियो पर विशेष रूप से होता है। यह प्रकुपित वात को शान्त करता है। मूत्रपिण्ड पर भी इसका प्रभाव है। हृदय के रोगों में इसके प्रयोग से सफलता मिलती है। रस रक्तादि धातुओं को पुष्ट कर शरीर को बलवान बनाता है। वात पित्त प्रधान पक्षाघात के लिए सर्वोत्तम औषधि है। इसका प्रयोग पित्त विकार में त्रिफला जल और मिश्री के साथ हिस्टीरिया में मिश्री और मांस्यादि कषाय के साथ, हृदय रोग में अर्जुन त्वक् कषाय के साथ, वात रोगों में रसोन घृत और मिश्री के साथ करना चाहिए।
सहायक योग: ब्रह्म रसायन, चन्द्रप्रभा वटी,ब्राह्मी वटी।
पैकिंग: 5, 10 टेबलेट