Indication : This medicine is recommended in
prameha, mutrakricha,bahumutra, anaemia, jwar(dhatugat), halimaka, rakta pitta, vitiated vata, pitta &kapha, grahani,indigestion,loss of appetite &anorexia. It is also said to be effective in controlling bleeding with the urine, bahumutra and urine containg white cells.
Dosage : 1to 2 tablet (125 to 250mg) in
the morning and evening with or water as directed by the physician.
Packing : 10 and 25 tablets
Diet : Bread,barley, gram, wheat, figs, black
grapes, sahijan, banana, karela, papaya, parwal, moong, lentils,arhar, dal,
milk, ghee, butter, cream, oranges, grapes, &apples.
Avoid : oil, chilies, spicy
food and sour food.
Caution : To be taken under medial supervision onl
मात्रा / अनुपान : 1-1 टेबलेट दिन में 2 बार रोगानुसार विविध अनुपान
के साथ दें।
गुणधर्म एवं उपयोग : यह रसायन वंग भस्म, स्वर्ण भस्म, रजत भस्म, अभ्रक भस्म, मुक्ता भस्म आदि के योग से तैयार होता है। इसके सेवन से नये-पुराने सब प्रकार के प्रमेह अच्छे होते है। कुच्छ, बहुमूत्र मूत्रमेह, मूत्रातिसार, वीर्य की क्षीणता टट्टी-पेशाब के रास्ते से वीर्य जाना, स्वप्नदोष और शुत्रक्षय से उत्पन्न मन्दग्नि, आमदोष, अरूचि, हलीमक, रक्तपित्त, ग्रहणीदोष, मूत्र और वीर्यदोष आदि सभी विकार नष्ट होते है। रस रसायन वाजीकरण, आयु, बल, वीर्य, कान्तिवर्द्धक और दुर्बलता नाशक है।
आजकल नवयुवकों में चित्त की चंचलता के कारण मानसिक उत्ताप बढ़कर वीर्यवाहिनियों में विक्षोम पैदा कर स्वप्नदोष की शिकायत उत्पन्न कर देता है, धीरे-धीरे इस रोग से धातुओं का प्रतिलोम क्षय होकर रोगी निस्तेज, ज्वर, दाह, खाँसी, दिल की धड़कन, कोष्ठबद्धता, अंगप्रत्यंगों में दर्द तथा थकावट से पीड़ित रहता है। ऐसी स्थिति में इस रस को प्रवाल भस्म और शुद्ध शिलाजीत के साथ देने स्वप्नदोष नष्ट होकर उत्तरोत्तर धातुयें पुष्ट जाती हैं और यह व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ एवं बल और कान्तियुक्त हो जाता है।
पैकिंग : 10 टेबलेट