उदरराज चूर्ण
रोगाधिकार:
यह चूर्ण दीपन, पाचन, वातानुलोमक एवं विबंध नाशक है।
विशेष:
यह चूर्ण उदर के समस्त रोगों के विशेषकर आध्मान, अजीर्ण शूल ;ळंेजतपब ज्तवनइसम द्ध,
विबन्ध ,अग्निमांद्य, अर्श, हिचकी नाशक है। मिथ्याहार विहार से उदर में , कम परिश्रम करने वाले एवं 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गैस्ट्रिक ट्रबल की शिकायत आम बात हो गई है। भोजनोत्तर एक चम्मच उदरराज चूर्ण का उपयोग उक्त रोग में तुरन्त लाभप्रद है। इसमें दीपक, पाचक , उष्ण, सारक गुण वाले द्रव्यों कि यसोजना कर इसे बहुत उपयोगी बनाया है। यह चूर्ण यकृत पित्त को बलप्रदान करता है। आम का पाचन करता है, उदर में संग्रहीत वायु को बाहर निकालता है। एवं कीटाणुओं को नष्ट करके उदर में उत्पन्न दुर्गन्ध को दूर करता है। यह शौच शुद्धि करने में सहायक है एवं मलावरोध दूर करता है।
RIGHTS:
This CHURNA promotes Stomachic, digestion and cures carminative and blood disorder.
What’s more in UDERRAJ CHURNA?
This powder is cure of all the diseases of the stomach, especially ahmaa, (GASTRIC Trouble), distortion, Piles, Hiccups and others.
UDERRAJ CHURNA present in the digestive fibres serves as a prebiotic and helps regulate blood sugar. UDERRAJ CHURNA in this blend serves as a food for good gut bacteria and promotes good gut health. So, have UDERRAJ CHURNA regularly and get well gut health, everyday!
Why you should take it consistently?
Predominantly in cities, complaints of gastric trouble are common in people working less and more than 50 years of age. The use of one teaspoon UDERRAJ CHURNA after meal is immediately beneficial in the said blood.
In this, the heat of the digestive system makes it very useful by combining substances with sacral properties.
This powder provides strength to the liver, bile, helps in digestion, removes the air stored in the stomach, and eliminates the germs and removes the foul door produced in the stomach.
यह चूर्ण दीपन, पाचन, वातानुलोमक एवं विबंध नाशक है।
विशेष:
यह चूर्ण उदर के समस्त रोगों के विशेषकर आध्मान, अजीर्ण शूल ;ळंेजतपब ज्तवनइसम द्ध,
विबन्ध ,अग्निमांद्य, अर्श, हिचकी नाशक है। मिथ्याहार विहार से उदर में , कम परिश्रम करने वाले एवं 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गैस्ट्रिक ट्रबल की शिकायत आम बात हो गई है। भोजनोत्तर एक चम्मच उदरराज चूर्ण का उपयोग उक्त रोग में तुरन्त लाभप्रद है। इसमें दीपक, पाचक , उष्ण, सारक गुण वाले द्रव्यों कि यसोजना कर इसे बहुत उपयोगी बनाया है। यह चूर्ण यकृत पित्त को बलप्रदान करता है। आम का पाचन करता है, उदर में संग्रहीत वायु को बाहर निकालता है। एवं कीटाणुओं को नष्ट करके उदर में उत्पन्न दुर्गन्ध को दूर करता है। यह शौच शुद्धि करने में सहायक है एवं मलावरोध दूर करता है।