Processed in Kumari swaras
Pharmacology : Haematinic, nervine tonic and antipyretic
Indications : Recommended in jaundice, polio , nervous, debility and weakness associted with polio. As a restorative tonic, it helps children in chronic and respiratory diseases such as whooping cough and pneumonia. It also helps in the development of bones in children
Dosage : ¼ to 1 tablet ( 31.25 to 125 mg ) in the morning and evening with milk or as directed by the physician
Packing : 5 and 10 tablets
Diet : Milk, easily digestible& nutritious food
Avoid : Chillies and fried food
Caution : To be taken under medical supervision only
मात्रा / अनुपान : बच्चोंके लिए ½ -½ टेबलेट माता के दूध अथवा मिश्री
अथवा वचा और शहद के साथ दें। बड़ों के लिये 1-1 टेबलेट दिन में 2 बार रोगानुसार उचित अनुपान के साथ दें।
गुणधर्म एवं उपयोग :स्वर्ण,मोती, रससिन्दूर आदि किमती औषधि से तैयार किए गए इस रस का नाम के अनुसार गुण है। हृदय,फुफ्फुस, मस्तिक ,ज्ञानेन्द्रिय, यकृत, उदर, मूत्रपिण्ड आदि सभी अंगो के विकारों को
नष्ट कर शरीर को यह पुष्ट बनाता है बालकों के सभी रोग कास, श्वास, क्षय, संग्रहणी, वमन आदि पर यह सुन्दरकार्य करता है। स्वस्थ बच्चों को भी यदि एक सप्ताह तक सेवन कराया जाय तो यह पुष्ट बना देता है।
बच्चों की तरह इसे बड़ों को भी दिया जा सकता है। उत्तम रसायन होने के साथ ही यह योगवाही भी है। शारीरिक शक्ति की रक्षा के लिए दूसरी औषधियों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है।
बच्चों को होने वाले बालशोष में गोदन्ती भस्म के साथ मिलाकर दिया जाता है। बाल पक्षाघात,आक्षेपक आदि वात विकारों में भी यह उत्तम लाभ करता है।
सहायक योग :
सितोपलादि चूर्ण, चन्दनबाला लाक्षादि तेल, प्रवाल पिष्ठी, श्रृंग भस्म ।
पैकिंग : 5, 10 टेबलेट