Indications : It is useful in treating kasa, Shwasa, Aruchi, Amash ula, Katishula , Agnimandya, Ajirna, Chronic Sanghrahani , Amavata, Amlapitta, Panduroga, Prameha, Vatrakkta, Types o Vata disoreders, Mandagniroga, etc,
It promotes energy, aphrodisiac.
Packing : 10 tab.
मात्रा/ अनुपान :
1-1 टेबलेट दिन में 2 बार रोगानुसार विविध अनुपान के साथ दें।
गुणधर्म एवं उपयोग :यह रस बल्य, रसायन एवं बाजीकरण है तथा अष्ठीला,
खांसी, श्वास, अरूचि, आमशूल, हृच्छूल, पित्तजन्य शूल, अग्निमांद्य, अजीर्ण, पुरानी संग्रहणी, आमवात, अम्लपित्त, भगन्दर ,कामला, पाण्डूरोग, प्रमेह और वातरक्तनाशक है।
इस रसायन के सेवन से मेधा और वाकशक्ति की वृद्धि होती है तथा मनुष्य अत्यन्त बलवान, कान्तियुक्त व रूपवान हो जाता है। यह रस स्त्री, पुरुष तथा दुर्बल रोगियों के लिये अत्यन्त हितकर है।
यह सभी प्रकार के रोगों में फलप्रद है। किन्तु इसका सबसे ज्यादा प्रयोग प्रमेह, नपुंसकता तथा जननेन्द्रिय के विकारों में होता है। यह रसायन शुक्राणओं की नवीन रचना करता तथा रजाणुओं के उत्पतिक्रम को ठीक करता है। अति मैथुन या मैथुन से थके हुए पुरुषों में यह फिर से नवीन ताकत लाता है। शुक्रसाव श्वेतप्रदर तथा बहुमूत्र को यह अतिशीघ्र ठीक करता है। मस्तिक में धारणा शक्ति बढ़ने से हृदय को बल मिलता तथा वीर्यवाहिनी नाड़ियो में चेतना आती है। किसी भी रोग से उत्पन्न कमजोरी इससे दूर हो जाती है। सन्निपात, ग्रहणी, क्षय आदि की कठिन दशा में इसका मिश्रण हृदय को शक्ति देता है। इसके सेवन से रसायन गुणों की प्राप्ति होती है, स्वस्थ रहते हुए मनुष्य दीर्घायु होता है। यह रस हृदय, मस्तिष्क, रस-रक्तादि धातुओं और इन्द्रियों की शक्ति को बढ़ाता है। शुक्रत्र की ओज की विशेष वृद्धि कर काम शक्ति को भी बढ़ाता है।
पैकिंग: 10 टेबलेट